• Aham Bhaaw Kee Nivritti April 03, 2000 Free (Hindi Writing) Quick View
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    • Aham Bhaaw Kee Nivritti April 03, 2000 Free (Hindi Writing)

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    • आत्मा का गुण या स्वभाव सम रहना है। उसमें उतार-चढ़ाव, सुख-दुःख और आधि-व्याधि नहीं होते, पर मनुष्य को आत्मा में ऊँचा-नीचा, सुख-दुःख, राग-द्वेष तथा प्रेम-घृणा दिखता है। जिसको यह सब जान पड़ता है, उसका नाम “मैं” या “अहंकार” है। उसी का नाम कलना, मन, संकल्प, स्फुरण, चेतना, अहंकार और बुद्धि है। आत्मा इस अहंकार का या मनुष्य का स्वरूप है…
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  • Samadarshita Ka Niroopan Part 1 (A Collection of Hindi Writings) Quick View
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    • Samadarshita Ka Niroopan Part 1 (A Collection of Hindi Writings)

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    • स्वामी श्याम का परिचय स्वामी जी ही दे सकते हैं। वह ब्रह्म स्वरूप हैं और उन्हें अपने आप का अनुभव हो चुका है। उसी अनुभव चेतना को लेकर उनकी वाणी से जो ज्ञान निस्सृत हुआ है, वह हम सभी ने गीतों में गाया है व लेखों में पढ़ कर अपने जीवन में अपनाया है। हमारी पहुँच वहाँ तक नहीं है
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  • Samadarshitaa Kaa Niroopan Part 2 (A Collection of Hindi Writings) Quick View
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    • Samadarshitaa Kaa Niroopan Part 2 (A Collection of Hindi Writings)

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    • स्वामी श्याम का परिचय स्वामी जी ही दे सकते हैं। वे ब्रह्म स्वरूप हैं और उन्हें अपने आप का अनुभव हो चुका है। उसी अनुभव चेतना को लेकर उनकी वाणी से जो ज्ञान निस्सृत हुआ है, वह हम सभी ने गीतों में गाया है व लेखों में पढ़ कर अपने जीवन में अपनाया है।
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  • Shuddh Bhaaw Praapti–Part 1 (Eight Short Hindi Writings) Quick View
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    • Shuddh Bhaaw Praapti–Part 1 (Eight Short Hindi Writings)

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    • स्वामी श्याम का परिचय स्वामी जी ही दे सकते हैं। वह ब्रह्म स्वरूप हैं और उन्हें अपने आप का अनुभव हो चुका है। उसी अनुभव चेतना को लेकर उनकी वाणी से जो ज्ञान निस्सृत हुआ है, वह हम सभी ने गीतों में गाया है व लेखों में पढ़ कर अपने जीवन में अपनाया है। हमारी पहुँच वहाँ तक नहीं है…
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  • Shuddh Bhaaw Praapti-Part 2 (A Collection of Hindi Writings) Quick View
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    • Shuddh Bhaaw Praapti-Part 2 (A Collection of Hindi Writings)

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    • स्वामी श्याम का परिचय स्वामी जी ही दे सकते हैं। वे ब्रह्म स्वरूप हैं और उन्हें अपने आप का अनुभव हो चुका है। उसी अनुभव चेतना को लेकर उनकी वाणी से जो ज्ञान निस्सृत हुआ है, वह हम सभी ने गीतों में गाया है व लेखों में पढ़ कर अपने जीवन में अपनाया है।
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